भारतीय सिपाही
भारतीय सिपाही
सरहद पर जान वार दिए,
परिवार से दूरियाँ बनाया है,
सौ मुश्किलों से गुजर कर,
हमने ये वर्दी पाया है।
दुश्मनों की गोली से हमने,
अपना जिस्म छलनी करवाया है,
तब जा के देश की आन बचाई है।
ओ देश वासियों,
मेरे प्यारे भाइयों,
तुम क्यूँ चिंता करते हो,
अपना लहू बहा के भी,
देश की रक्षा करेंगे हम।
ये मेरा देश महफूज रहे,
अफ़सोस नहीं चाहे हम रहे ना रहे,
हिंदुस्तान मेरा हँसता रहे,
तिरंगा में लिपटा मेरा लहू कहे।
कितना नसीबों वाला था में,
जो क़ुर्बान हुआ तेरे अस्मत पे,
अब चला में ये डोर मेरे मुल्क तेरे हाथ में दे के,
मैं तो चला शहीद होने।
मर के भी में तुझको ना छोड़ूँगा,
ऐसा वादा करता हूँ,
जब भी चिड़ेगी सीमा पे जंग,
मेरे आत्मा लड़ेगी दुश्मन से,
ऐसा भरोसा दिलाता हूँ।
जब भी पड़े ज़रूरत,
मैं अपनी छुट्टी रद करवाऊँ,
जाऊँ सरहद पर हँसते हुए,
लादूँ डगर पर हँसते हुए,
इस वर्दी का क़र्ज़ उतारूँ।
माँ मेरी बापूजी मेरे,
बीवी मेरी और बचे घर पे मेरा इंतज़ार करे,
लेकिन मैं सलाम करूँ तिरंगा और वतन को मेरे।
जब भी आए शव मेरा,
आँखों में आँसू ना लाना जरा,
होंठों पे रखना मुस्कान,
और ज़ुबान पे जय हिन्द का नारा जरा,
जय हिन्द का नारा जरा।
जय हिन्द।