भाई ! तुम हद से बढ रहे हो
भाई ! तुम हद से बढ रहे हो
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भाई ! तुम हद कर रहे हो
समारंभपूर्वक गुलामी प्रदान
कर रहे हो ,हम कैसे चूप रहे
चुपचाप कैसे बेइज्जती सहे ?
भाई ! तुम हद से बढ रहे हो
और सरेआम कीचड़ फेंक रहे हो
हम आदमी हैं जानवर नही...
'तेरी हर बात मानना जरुरी नहीं
भाई ! तुम हमसे हो ,हम तुमसे नहीं...
भले ही तुम किताना ही क्यूँ न ताकदवर हो
हम बखुबी जानते हैं कैसे काबू करना , कौन सा जानवर ...
इतिहास गवाह हैं अमावास के बात ही पूनम कि रात
भाई ! हम भुले नहीं'तेरी हर बाते, जुमले
और मानवातवाद, साविंधांन पर के हमले
तुम्हे हर सवाल का जवाब देना होगा फिकर ना करो
झूट , फरेब और मक्कारी आखिर चलेगी कब तक ?