भाई-बहन
भाई-बहन
कुछ रिश्तों का नहीं मोल
वक्त के साथ संभल जाते हैं।
बचपन में लड़ते झगड़ते रहते
तेरा मेरा करते चलते हैं।
धुर होकर अपनत्व पाते हैं।
बहन बन जाती शुभचिंतक
भाई बन जाता रक्षक
रेशम की तरह चमकते रिशते
शब्दों से नही दिल से निभाते हैं।
कभी रंक्षासुत्र बधंकर
तो कभी भाईदूज मनाकर
एक दूजे के प्रति अपनत्व पाते हैं।
ताउम्र नहीं बदलते
अंत तक साथ निभाते हैं।
अनमोल है ये रिश्ते
दोनों तरफ प्यार, विश्वास से निभाए जाते हैं।