बेवफ़ा
बेवफ़ा
जब विश्वास टूटता है फिर नहीं होता दोबारा,
इस दिल को समझाए कोई तड़पता है ये बेचारा,
लोग आदत लगाकर छोड़ देते हैं,
बात करें तो अहसान जताते हैं,
शायद उनके ऊपर बीतने पर हो उन्हें दर्द का अहसास,
कितना कठिन होता है उस बेवफा को भी
भूलना जो हो मन के सबसे पास,
काश तूने मुझे समझा होता कि होती मुझसे वफ़ा,
काश नहीं कहना पड़ता तुझे बेवफ़ा,
हर किसी में होती ही है कोई न कोई कमी,
पर काश तूने समझी होती मेरी आँखों की नमी,
हर वक़्त तूने खुद के बारे में सोचा
तेरी खुशियां और सिर्फ़ तेरी उलझन,
तुझे क्यों नहीं दिखते मेरे आंसू और मेरी तड़पन,
काश तूने इस तरह मुझे अकेला न छोड़ा होता,
काश तू आज भी मेरे पास होता,
काश तुने दुनिया वालों से अलग मुझे सुना होता,
काश तुने मेरी तरह वफ़ा को चुना होता।