बेटी
बेटी
सहनशीलता धरती जैसी,
प्रेमार्पण में तो ये अर्श है।
दुनिया में सबसे सुंदर तो,
बस एक बेटी का स्पर्श है।
पालन का गुण बचपन से,
ममत्व से दोस्ती छुटपन से।
बेटी न है बेटों से कम कहीं,
बेटी से ही परिवारोत्कर्ष है।
सेना में जाएँ तो वीरांगना,
जहाँ जाए सजाये अंगना।
बेटी ही है घर का आधार,
बेटी स्वीकार मुझे सहर्ष है।
बेटी दे रही है सुख अनन्त,
इसके प्रेम का आदि न अंत।
बेटी से दिन रात है हर क्षण,
बेटी संग बीत जाते वर्ष है।
