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Juhi Grover

Tragedy

4  

Juhi Grover

Tragedy

बेरंग होली

बेरंग होली

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#रंगबरसे

रंग बिखर गये हैं इस तरह ज़िन्दगी के,

अब होली बेबस बेरंग सी लगती है।


बदल गये हैं रंगरेज़ भी अब यहाँ के,

रंगों की पहचान बेगानी सी लगती है।


खत्म हो गये हैं मेले अब उमंगों के,

सपनों की दुनिया पुरानी सी लगती है।


खो गये शोर अब गली मोहल्लों के,

बचपन की होली भूली सी लगती है।


गुज़रती है ज़िन्दगी यों बन्द कमरों में,

होली की चमक फीकी सी लगती है। 


चलो चलें अब अपने अपने घरों में,

साथ निभाने की रस्में झूठी लगती हैं।


त्यौहारों के अब  इस फीकेपन में,

ज़िन्दगी की खुशी छूटी सी लगती है।


रंग बिखर गये हैं इस तरह ज़िन्दगी के,

अब होली बेबस बेरंग सी लगती है।


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