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Bhavna Thaker

Romance

4.4  

Bhavna Thaker

Romance

बेपनाह प्यार कर बैठे

बेपनाह प्यार कर बैठे

1 min
353


मिलते ही नज़रें हम उनसे बेपनाह प्यार कर बैठे,

उनके दिल की दावत का हंस कर स्वीकार कर बैठे। 


क्या कहें साहब उनकी अदाओं में क्या जादू है,

देखते ही उनको आराइश-ए-अफ़कार हम कर बैठे। 


बसा कर ख़्वाबों का जहाँ ख़्वाबगाह के भीतर,

हम बेइन्तहाँ चाहत का उनसे इज़हार कर बैठे। 


पीकर जाम उनकी नज़रों से वल्लाह ऐसे बहके,

बेख़ुदी में ज़ीस्त को मानों हम गुलज़ार कर बैठे। 


तसव्वुर में दम ब दम गुफ़्तगु उनसे करते हैं

रुबरु में उफ्फ़ तौबा क्यूँ तकरार हम कर बैठे 


रूठने पर मनाना उनकी फ़ितरत में ही नहीं जब

फिर क्यूँ हम उनका बेसब्री से इंतज़ार कर बैठे 


अंजाम ए इश्क जानते हुए भी गहरी झील में कूद गए,

क्यूँ खुद को उनका इतना तलबगार हम कर बैठे। 


कू ए यार का रुख़ बार-बार करते-करते हम,

खुद की ही नज़रों में खुद का गुनहगार कर बैठे।


बार-बार अब दिल एक ही सवाल दोहराता है,

एक बेवफ़ा की प्रीत पर क्यूँ एतबार कर बैठे।


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