बेफिक्र ही सही
बेफिक्र ही सही
कहने को तो बहुत कुछ है मगर
बस अब ख़ामोशी ही सही।
जख्म तो बहुत गहरे हैं मगर
अब कोई गिला ही नहीं।
इश्क तो तुझसे बेहद है मगर
अब इजहारे मोहब्बत की जरुरत नहीं।
तेरी फ़िक्र आज भी करते हैं मगर
अब तेरी नज़र में बेफिक्रे ही सही।