बेकरार दिल
बेकरार दिल
मोहब्बत का जिक्र होते ही
तुमको अक्सर परेशान होते देखा है
जब मेरे ख्यालों में डूबी रहती हो
तुमको दिल ने हैरान होते देखा है
वो इश्क भी भला क्या इश्क
जहाँ दिल किसी के लिए बेकरार न हो
बहुत दुखता है मन ये सुनकर
जब चाहने वालों के लिए इकरार न हो
माना कि आज गैर हैं तुम्हारे लिए
कोशिश तो करो कल तुम्हारे हो जाएंगे
कुछ जतन हम करें कुछ तुम करो
सब कुछ भूलकर हम तुम्हारे हो जाएंगे
आंसू पोंछकर ज़रा ये तो बताओ
क्या सच में तुमको भी ये बीमारी है
अगर पूछो हाल हमारे दिल का
तो सुनो आंखों में इश्क की खुमारी है
बहुत समझाया था नादां दिल को
मजबूर है समझाने से भी ये मानता नहीं
तुम ही अब इसको कोई राह सुझाओ
गैर दिल की छटपटाहट कभी जानता नहीं
इतना यकीं है गर अपने प्यार पर
तन्हाई से निकलकर आज मुलाकात करेंगे
मिलेंगे जब जो दो अजनबी मुसाफिर
पहले से बेहतर मिलकर अपने हालत करेंगे।