बेगाना
बेगाना
बेग़ाने से घूम रहे है बस्ती में
कितने अपने लोग बचे है बस्ती में
शहरों में बसने वाले तू देख ज़रा
कोई तेरी राह तके है बस्ती में
सावन में अब झूला झूले कौन यहां
अब बरगद बेकार उगे है बस्ती में
पैसे खातिर तूने घर को छोड़ दिया
माँ-बाबा लाचार खडे है बस्ती में
चाचा- ताऊ दीवारों के पार हुए
किसकी खातिर कौन लड़े है बस्ती में
त्यौहारों में अब वो पहली बात नही
अब तो हर सू खाक उडे है बस्ती में
चाकू-खंजर घोंप रहे है आपस में
लालच के बाज़ार सजे है बस्ती में
देख लकी बहरे है सारे लोग यहां
तू क्यों अपनी बात कहे है बस्ती में।