बेदर्द दस्तूर
बेदर्द दस्तूर
दुनिया के दस्तूरों से
उलझन में आज हम हैं
निभाना मुश्किल इन्हें
तोड़ना भी आसान नहीं है
वफ़ाई में अपनों से
यार से जफ़ा होती है
किसको ख़ुशी दे पाते
जब ख़ुद को ही धोखा देते हैं
यारी में दिलदार से
अपने ही पराए हो जाते हैं
दिल में जो प्यार जगाते
वो ही पत्थर दिल हो जाते हैं
क्यों दिल की सारी बातें
इन ज़ंजीरों में बंद हैं
मोहब्बत अभी तक
क्यों इतनी मजबूर है!?