बदले अपनी चाल
बदले अपनी चाल
शांत हो गयी वसुधा भी अब,
कष्टो को सहते सहते,
पर कर रही शांति संकेत,
कर रही हमे सचेत,
बदलना होगा हमे अब,
घिरे जो संकटों का मेघ,
रोक दोहन धरा का अब,
कुछ कष्टो को शांत करें,
दे रही वसुधा जब सब,
क्यो न अब सम्मान करें,
साक्षात हैं वसुधा माँ हमारी,
बस पोषण ही देती हैं,
नहीं समझा आज तक जो,
वक्त अब समझा रहा है,
बदले अब चाल भी अपनी,
बस ये ही बतला रहा है।