बचपन
बचपन
एक बचपन का जमाना था
जो खुशियों का खजाना था
चाहत चांद को पाने की थी,
पर दिल तितलियां का दिवाना था,
खबर न थी कुछ सुबह की,
न शाम का ठिकाना था,
थक हार के आना स्कूल से,
पर खेल ने भी जाना था,
मां की कहानी थी,
परियों का फ़साना था,
बारिश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था,
हर खेल में साथी थे,
हर रिश्ते निभाने थे
रोने की वजह न थीं
न हंसने का कोई बहाना।