बचपन
बचपन
पल्लव पर रजनीजल की बूंद है बचपन,
गुलमोहर पुष्प की लालिमा है बचपन,
अमलतास कुमुद् सा सुनहरा है बचपन,
सीप मे संजोइ मोती सा है बचपन।
जल की बहती चंचलता है बचपन,
झरने की झरति निर्झरता है बचपन,
नील गगन मे उन्मुक्त बादल है बचपन,
मखमल सा मुलायम पश्मीना है बचपन।
मैया की रेशमी आँचल की छाँव है बचपन,
बाबुल की गिली मिट्टी का आंगन है बचपन,
भैया की उंगली का सहारा है बचपन,
घर की दीवारों मे सिमटी यादें है बचपन।
बिदा बेटी हो जाती पर रह जाता है बस बचपन,
यौवन भी जिसे तरसता वो है बचपन,
जीवन की विसंगतियों मे अमृत धार है बचपन,
जीवन की सन्झा बेला मे स्वर्ण पोटली है बचपन।।