बचपन के वो खेल निराले !
बचपन के वो खेल निराले !
गिल्ली डंडा, राजा रानी
छुपन छुपायी, पहाड़ पानी
बचपन के खेलों की बात निराली,
हरपल ताजा यादों की कहानी !
वो छोटी गुल्ली से गुच्ची बनाना,
फिर डंडे से टाँड लगाना,
बिन खरचे का खेल निराला,
भूली बिसरी यादों का जाला !
वो जंजीर बनाकर हाथों की चेन,
बिजनेस में कागज के नोटों की लेन देन,
वो काग़ज़ की कश्ती की मस्त सवारी,
जीवन की ख़ुशियों की गाड़ी !
वो खेल खेल में नोंक झोंक,
फिर मम्मी पापा की रोक टोक,
जिसका बैट वो पहले खेलेगा,
बात बात पर धौंस जमेगा !
बचपन के खेलों की मनोरंजन दुनिया,
अब ना समझेगी मोबाइल गेम की दुनिया !