बच्चे तो आखिर बच्चे हैं
बच्चे तो आखिर बच्चे हैं
बच्चे तो आखिर बच्चे हैं
जब देखो तब आपस में
बात-बात पर मुंह फुलाते हैं ,
ये अपरिपक्व होते हैं
अपनी नासमझी में ये
रह रहकर ऐसा करते हैं ,
इनको समझाना बड़ा काम है
इनकी समस्याओं का समाधान
बहुत है ख़ास नही आम है ,
इनकी हर बात को मज़ाक नही समझना है
बात की तह में जाकर उसका सार
हमको इनको प्यार से कहना है ,
ये मिट्टी के लोदे होते हैं
बड़े प्यार से इनको सहलाकर
अच्छे विचार गढ़ने होते हैं ,
इन्हें दुलार कर जब हम कहते हैं
हमारी सारी बातें ये
बहुत आसानी से समझते हैं ,
जब ये बात समझ जाते हैं
फिर ये पल भर में देखिए
झट से कैसे मुस्कराते हैं ।