बैठ गए श्याम किनारे
बैठ गए श्याम किनारे
पनघट पे जाए पनिहारिन पानी भरने को,
बैठ गए श्याम किनारे कौतूहल करने को!
बुला लिए तीर पर गाँव के सब गोप-ग्वाले,
वे भी उनकी पुकार पे दौड़े आये मतवाले!
घात लगाये बैठे सब, कोलाहल करने को,
बैठ गए श्याम किनारे कौतूहल करने को!
"कान्हा! गुलेल चला-कर, ये मटकी फोड़े,
मैया! कोई भी मौक़ा देखो ये सब न छोड़े!
ये सारे यूँ बैठे रहे कोई हलचल करने को,
बैठ गए श्याम किनारे कौतूहल करने को!"
गोपी से सुन के बातें सब, मैया कान्हा हेरे,
"बहुत शरारती हो गया, ओ रे, कान्हा मेरे!
तुझे बान्धूंगी रस्सी से कि पग ज़रा धरने दो,
बैठ गए श्याम किनारे कौतूहल करने को!"
श्याम आये चुपके से मैया से बचते-बचाते,
पर मैया की नज़रों से कैसे श्याम बच पाते?
आगे भागे कन्हाई, पीछे मैया, पकड़ने को,
बैठ गए श्याम किनारे कौतूहल करने को!
इसी तरह कान्हा को मिली ममता अशेष,
स्वयं प्रभु आते धरा पे, धर माता का वेश!
उर में माता का प्रेम, प्रभु-भक्ति भरने दो,
बैठ गए श्याम किनारे कौतूहल करने को!