Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ahmak Ladki

Others

5.0  

Ahmak Ladki

Others

बातें

बातें

1 min
351


बातों ही बातों में

बातें कहीं और रुख़ कर लेती हैं

भटक जाती हैं रास्ता

भूल जाती हैं अपनी मंज़िल

फिर वहाँ नहीं पहुँचती

जहाँ उन्हें पहुँचना होता है।

फिर नहीं करती वो असर

जो उन्हें करना होता है।

नाहक तर्कों के ढेर में वो बातें

जो खूबसूरत यादें बन सकती थी

कहीं खो जाती हैं।

ग़लतफ़हमियों के बोझ तले

अपने क़द से कई अधिक

बौनी हो जाती हैं।

बेहतर है कि बातों को

ख़ामोशी के लिफ़ाफ़े में बंद कर

मुस्कराहटों की सील लगा दें

और भेज दें गुमनामियों के पते पर

फिर वो बातें वहाँ जरूर पहुँचेगी

जहां उन्हें पहुँचना चाहिए।


Rate this content
Log in