बारिश
बारिश
ये देखो काली घनघोर घटा है छाई,
टिप टिप करती हुई बूँदें धरा पर आई,
गर्मी से आतप मन को इन बूँदों ने
बड़ी ही फुरसत से है राहत पहुँचाई।
घर से देखो निकल पड़े हैं जरूरी काम से,
छतरी ताने चल रहे हैं बड़े ही आराम से,
भींगे न तन बदन इसी ख्याल में
छतरी है राहत पहुँचाये बिना नाम के।
देखो बारिश रुक गयी है हुई राहत,
बारिश ने है पूरा किया सबकी ही चाहत,
आकाश देखो स्वच्छ दिख रहा नीले रंग में,
मन से सब खुश है न कोई है आहत।
सूरज भी आ गया कोने से निकल आसमान में,
फैलाने को उजियारा देखो पूरे जहान में,
बादल भी शांत हो गए देख सूरज का ताप,
बारिश खत्म हो गई पूरे ही शान में।