बारिश की बूंद
बारिश की बूंद
बारिश की बूंद देख दिल में एक ख़्याल आया,
कहाँ जाएंगी ये बूँद , मेरे मन में ये सवाल आया।
देखा एक छोटी सी बूँद मुझे बुला रही थी
सपना था या फिर कोई हकीकत, बता रही थी।
मैं भी उसके संग बूँद बन बैठी,
सफर शुरू हुआ मेरा, पहले ही घबरा बैठी।
बारिश की करोड़ो बूंदों में, मैं अपने आपको खो बैठी
निकली थी बूंदों का सफर देखने, पर
उन करोड़ो बूंदों में खुद को भी समेट बैठी।
बूंदों के हौसलों ने मुझे जगाया
अभी और तकलीफें आयेंगी, मुझे बताया।
हार कर यूँ बीच राह में रुकते नहीं मुसाफ़िर
आगे बढ़ने का सफर ही तो जिंदगी है, मुझे सिखाया।