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Richa Baijal

Romance

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Richa Baijal

Romance

बाहों में तेरी घर बनाया मैंने

बाहों में तेरी घर बनाया मैंने

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इस दिल को तसल्ली मिल जाती,

जो तेरी खैरियत की इत्तला मिल जाती।

ख्वाबों को सुकून मिल जाता,

जो तेरे आने का उनमें एहसास मिल जाता।

चेहरे पर रौनक का सिलसिला होता,

जो मेरी आँखों के अक्स में शामिल तू होता।


मालूम है कि मुमकिन नहीं मिल पाना है,

फिर भी तेरी याद में आँसू बहते है,

जब ये मेरे होकर भी मेरे नहीं होते हैं।

बात करते करते जब ऑंखें नम हो जाती है,

मेरी बातें न जाने कब कम हो जाती हैं।।


अब खो जाने का मन बनाया है मैंने, 

तुझे पा लेने का इत्मीनान जताया है मैंने।

ऑंखें बंद और लब खामोश अब हैं,

बाहों में तेरी अपना घर बनाया है मैंने।।


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