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बादशाह गुलाम है ..

बादशाह गुलाम है ..

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किसको बिठाएगा उतारेगा किसे सिंहासनों से,

यह उसी का काम है, जो बादशाह गुलाम है।

 

मन मार कर ही जी रहा, यह आँसुओं को पी रहा

कर कर मशक्कत रात दिन बदहाल भूखा ही रहा।

सुख की नहीं उम्मीद सब अरमान इसके मर गए,

गति हो गई है मंद मति की और विधि भी वाम है।

 यह बादशाह गुलाम है।

 

मन में न अभिलाषा रही, उत्थान की आशा नहीं

अब पास ही उसके रहेगी स्वयम् की भाषा नहीं।

अटकीं रहेगीं कण्ठ में ही, कष्टकारी सिसकियाँ,

फिर भी समझ इसकी कि इसका प्रभु दया का धाम है।

यह बादशाह गुलाम है।

 

जो थे पराए वे गए, धरती हमारी दे गए

लेकिन हमारे खून ही में दायरे बढ़ते गए।

पंजाब का गुस्सा फटा, कश्मीर भी नाराज है,

है तमतमाया दूर पूरब, तुनक में आसाम है।

यह बादशाह गुलाम है।

 

इस वास्तविक शतरंज में, सिंहासनों की जंग में

गठजोड़ सबके गूढ़ हैं, हों अलग अथवा संग में।

आशा नहीं है मुक्ति की, जैसे अभी हालात हैं,

उठ बादशाह महान, तेरे सामने संग्राम है।

यह बादशाह गुलाम है।


आजाद है तो क्यों अभी तक दिख रहा नाकाम है

हाँ, बादशाह गुलाम है।


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