बादलों फिर ना कहना
बादलों फिर ना कहना
तुमसे किसने कहा कि तुम खो जाते हो शून्य में।
क्या तुम्हें नहीं मालूम कि
अपने अस्तित्व को मिटाते हुए
इस अनाम सोने से उपजती हैं
कुछ अज्ञात आत्मिक ऊर्जावान किरणें
मिल जाती हैं जो एक नीलिमा मय आकाश में,
समुद्र मंथन करते करते जो पुनर्जन्म लेते हैं
एक सुनहरी वाष्प में पुनः प्रस्तुत होता है,
जो तुम्हारे ही रूप में,
फिर से अपने अपने अस्तित्व को ध्वस्त कराने को,
फिर ना कहना बादलों कि,
तुम खो जाते हो शून्य में।
फिर न कहना ,
