अवसर तलाश कर ले.....
अवसर तलाश कर ले.....
कैसी भी हो परिस्थिति अवसर तलाश कर ले
गर राह हो अंधेरी जुगनू तलाश कर ले
भटके बहुत श्री राम भी सीता को खोजने में
पर पार करके सागर लौटे वो सिय को लेके
मन के जलधि में अपने संधान लक्ष्य कर ले
कैसी भी हो परिस्थिति अवसर तलाश कर
नियति को सब कुछ मान कर बैठा रहा ऐसे ही तू
पछताएगा फिर एक दिन ये भूल कर बैठा था क्यों
कृष्ण सा सदा ही अपनों का साथ होगा
पर युद्ध तेरा ही है तुझको ही लड़ना होगा
आज तू स्वयं में अर्जुन तलाश कर ले
कैसी भी हो परिस्थिति अवसर तलाश कर ले
काल के आगे भले ही आज मानव झुक गया
सपने देखे थे जो उसने बुलबुले सा बह गया
मन की पुलक को अपने प्रस्तर कठिन सा कर ले
इस हार को तू अपनी बस जीत में बदल ले
आज तू स्वयं में जीने की चाह भर ले
कैसी भी परिस्थिति अवसर तलाश कर ले।