औरत
औरत
हे प्यारी औरत...
तू अतुल्य हैं, तू अद्भुत है
गर्भ में ब्रह्मांड, नेत्रों में सृष्टि
आंसू में मीठास, स्पर्श में दुलार,
मन में प्रेम, हृदय में करुणा से
संसार को सदियों से धन्य किया ।
तू साक्षात दुर्गा-लक्ष्मी-द्रौपदी का प्रचंड स्वरूप
तू यथार्थ सीता-सती-सावित्री का कठोर तपस्या,
तू निरंतर राधा-मीरा-शबरी जैसी अमी वर्षा
तू सदैव कष्टदायक जन्मदात्री,पालनहारी,ममतामयी,
तू साक्षात देवी, निस्वार्थ बलिदान, जगत जननी
भूमि से भूतल, आसमां से अंतरिक्ष तक
न तेरी कल्पना, न परिभाषा
तू अकल्पनीय, अविश्वसनीय ,
तू बेजोड़, तू बेमिसाल
तुझसे ही आरंभ, तुझसे ही अंत
सृष्टि के कण-कण अस्तित्व तक ।