असुर
असुर


रक्त दिखा के
पीते हैं रक्त
सदियाँ बीत गयीं
जिन्दा हैं
आज भी
असुर।
ना मृत समझो
लेकिन
सत्य को।
कहीं तो बांसुरी बजा
रहा होगा कान्हा
कहीं तो धनुष खींच
रहा होगा राम।
समय का श्रम
सत्यभामा नहीं
जो मारता फिरे कुलांचे
काल दर काल।
रक्त दिखा के
पीते हैं रक्त
सदियाँ बीत गयीं
जिन्दा हैं
आज भी
असुर।
ना मृत समझो
लेकिन
सत्य को।
कहीं तो बांसुरी बजा
रहा होगा कान्हा
कहीं तो धनुष खींच
रहा होगा राम।
समय का श्रम
सत्यभामा नहीं
जो मारता फिरे कुलांचे
काल दर काल।