असली नायक
असली नायक
हे पूर्वज! आपका वंदन है, अभिनंदन है
जिसके तपबल से ही यह मानव जीवन है
विज्ञान बिना जीवन फिर भी अस्तित्व बचाया है
निर्जन में भी प्रकृति संग संतति पाला है।
जब जाता जंगल रूह काँपती अपनी है
देख कंदरा मुँह को कलेजा आ जाता है
बादल गर्जन से उर कंपित हो जाता है
बाढ़-बहाव में विज्ञान फेल हो जाता है।
बिन साधन जिंदा रह मनु अस्तित्व बचाया है
नवयुग-विकास का तू असली नायक है
जिसके कारण रूप सलोना मनु पाया है
श्रद्धा सुमन संग अहसानमंद यह 'वीनू' है।
जड़ बिन पौधे का यदि कोई अस्तित्व नहीं है
फिर मानव का पूर्वज बिन अस्तित्व न टिकता है
तेरे कष्टों की गाथा मनुज भूल रहा है
इसीलिए कवि असली नायक ढूंढ रहा है।