असीम करुणा
असीम करुणा
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वेदना से व्यथित मन प्राण ,
मॉंगते असीम करुणा दान।
दे दो उसको अपनी पावन,
करुणाकोर के प्रभु दो कण।।
भर दो जीवन में उल्लास ,
भर उठे स्वर गाये सहास।
होवे मुखरित तव पूजा में,
हृदय वीणा सप्तम स्वर में।।
पुलकित हो जायँ मन प्राण,
पाकर प्रभु तव अवदान।
वेदना विगलित आज प्राण,
मॉंगते असीम करुणा दान।।