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Rajeshwar Mandal

Others

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Rajeshwar Mandal

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अर्जी

अर्जी

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200


जाना है तो जाओ

पर इक अर्जी मेरी सुन जाना

बुझते दीये में थोड़ा थोड़ा 

खुद को मिला जाना

ज़ख्म बहुत है दिये इस जहां ने

इक हंसी देकर रूह तलक हंसा जाना

खिल न सका वन-फूल जो नेह बिन

इक लबों का छुअन देकर

इक पत्थर को अहिल्या बना जाना

न मैं अंगार न मैं पानी

मेरी तासीर ही कुछ अलग है


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