अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
आई हूं जहां में बस तुम्हारे लिए
लड़ती हूं सबसे बस तुम्हारे लिए
मैं रूठ जाऊं तो
बोल कर प्यारे दो बोल
मना लेना मुझे
सावन की पहली फुहार
नन्ही कोपल सी मैं तुम्हारे लिए
सात जन्मों का पता नहीं
पर इस जन्म तो तुम्हारी हूं सिर्फ तुम्हारी
डर जाती हूं देख कर बेरुखी तुम्हारी
आती है आवाज अगले ही पल
दिल के कोने से
यह भी तो जरूरी है चटपटी चाट सी जिंदगी में
चलती जाए जीवन की गाड़ी कुछ ऐसे
थामो तुम मुझे तब तक
जब तक सांसों की हो अंतिम डोरी
अर्धांगिनी हूं तेरी
मुझे भाता तुमसे मिल
हम कहलाना।