अपने
अपने
वो एक बात,
कम लोग,
स्वीकार पाते हैं।
ज़िन्दगी में,सब से,
गहरी चोट,
अपने ही मार जाते हैं।
अपने से ऊपर,
अपने से आगे,
वो कहीं बढ़ न जायें।
पर कतर, उन उड़ते परींदों के,
उनको उनकी हस्ती दिखाई जाये।
ऐ मेरे दोस्त,
कर ले तू वो सब,
जो तेरा दिल बहलाये।
किस्मत की लकीरें तो उनकी भी उकेरता है खुदा
जिनके हाथ नहीं होते।