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Ambika Nanda

Abstract

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Ambika Nanda

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अपने

अपने

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वो एक बात,

कम लोग,

स्वीकार पाते हैं।

ज़िन्दगी में,सब से,

गहरी चोट,

अपने ही मार जाते हैं।


अपने से ऊपर,

अपने से आगे,

वो कहीं बढ़ न जायें।

पर कतर, उन उड़ते परींदों के,

उनको उनकी हस्ती दिखाई जाये।


ऐ मेरे दोस्त,

कर ले तू वो सब,

जो तेरा दिल बहलाये।

किस्मत की लकीरें तो उनकी भी उकेरता है खुदा

जिनके हाथ नहीं होते।


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