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Phool Singh

Inspirational

4  

Phool Singh

Inspirational

अपने ईश्वर से एक भक्त की पुकार

अपने ईश्वर से एक भक्त की पुकार

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मांगता रहा मैं जीवनभर 

आशा-विश्वास संग हर इक क्षण 

तैयार रहा बलिदान देने को  

भूला न तुझको एक भी पल, भूला न तुझको एक भी पल।।


आसूं-निराशा मेरी साथी बन गई 

तुम्हें दया न आई, क्यों भगवन 

माना मैं बड़ा पापी-कामी 

रहा, लोभ-क्रोध व बुराई के संग, रहा, लोभ क्रोध व बुराई के संग।।


अहम में हर क्षण भरा हुआ, मैं 

पर, ऐसा बनाया तू भगवन 

तुझे छोड़ अब जाऊं कहां, मैं

इक तू ही है मेरे, अंतर्मन, इक तू ही है मेरे अंतर्मन।।


दुःख-कष्टों की नदियां तूने बहाई 

अनुभव दिलाया हर एक क्षण 

करना क्या, उसका ये तो बताओ

मृत्यु, आन खड़ी अब मेरे दर, मृत्यु, आन खड़ी अब मेरे दर।।


इंतजार में तेरे अब भी रुका, मैं 

आ जाओ प्रभु तुम इस क्षण 

गूंगा, बहरा, अंधा हो गया

अब तो दे दो तुम दर्शन, अब तो दे दो तुम दर्शन।।



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