STORYMIRROR

Ratna Pandey

Abstract

5.0  

Ratna Pandey

Abstract

अपना अमूल्य वोट

अपना अमूल्य वोट

2 mins
320


वोट माँगने आए थे वह, नोट हाथ में मुझे थमाए,

मेरे निशान पर बटन दबाना, मुझको यह समझाए,

किंतु उसी वक़्त मैंने भी ठान लिया था अपने मन में,

जो मुझे नोट थमायेगा, वह बाद में अवश्य पछतायेगा।


उनके हज़ार, पाँच सौ से, मेरा जीवन गुज़र ना पाएगा,

गरीब सही पर देश भक्त हूँ, मैं बिक कभी ना पाऊँगा,

चाहिए मुझे ऐसा नेता, जो देश के हित में काम करे,

नोट बाँट-बाँट कर लोगों को, इस तरह ना गुमराह करे।


अपना ज़मीर बेचने वाले, इस देश को क्या बचायेंगे,

अगर जीत भी गए तो, मलाई मक्खन स्वयं ही खाएंगे,

जनता के वोटों से ही तो देश का भाग्य लिखा जाता है,

मुफ़्त के लाखों में भी देश का भाग्य नहीं बेचा जाता है।


अमूल्य वोट जो हम बेच आएंगे, इतना नीचे गिर जाएंगे,

तब कोई फरिश्ता भी आ जाए, देश को बचा नहीं पाएंगे,

आज वोट पाने की ख़ातिर, वादों की लम्बी सूची तैयार है,

लेकिन वादे पूरे होंगे या नहीं, इस बात की कहाँ दरकार है।


कर्ज़ माफ़ कर लोगों का, अर्थ व्यवस्था को बिगाड़ रहे है,

किसी भी तरह सत्ता में आ जाएं, जुगाड़ ऐसी लगा रहे हैं

जीत जाएंगे वह वादे करके, किंतु देश हमारा हार जाएगा,

कर्ज़ माफ़ी तो वह लाठी है, जिससे उन्हें सहारा मिल जाएगा।


वोट बेचने वालों, तुम वोट नहीं, अपना ज़मीर बेच रहे हो,

और जिस थाली में खाते हो, उसी थाली में छेद कर रहे हो,

देश अगर कमज़ोर होगा, हमें ताकत कहां मिल पाएगी,

बेचे हुए वोट के साथ, हमारी किस्मत भी बिक जाएगी।


जो सिर्फ़ देश के हित में काम करे, हमें उसे ही जीताना है,

वक़्त रहते संभल जाओ, देश हित में जाकर बटन दबाना है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract