अनुगामिनी
अनुगामिनी
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तुम्हारे संग चलती हूं तुम्हारी सहचरी हूँ मैं
जो ठंडक दे तुम्हें वो अविरल चांदनी हूँ मैं
बड़े पथरीले रास्ते है ये जीवन दुर्गम कितना है
ये तपता है मरूथल सा उजाला मद्धम कितना है
जो तुम को सवेरा दे वो रौशनी हूं मैं
तुम्हारे संग चलती हूं तुम्हारी सहचरी हूँ मैं
जब जीवन संध्या हो और तुम बेचैन हो जाओ
ये जीवन रेत सा फिसला ये महसूस कर जाओ
जो तुम को ख़ुशियाँ दे वो यादें पुरानी हूं मैं
तुम्हारे संग चलती हूं तुम्हारी सहचरी हूँ मैं
जब शामे ढलती होंगी और राते गहराएगी
जब हम तुम चुप होंगे और आँखें पथराएगी
जो संग तुम्हारे चल दे वो अनुगामीनी हूं मैं
तुम्हारे संग चलती हूं तुम्हारी सहचरी हूँ मैं