अनोखी होली
अनोखी होली
चल आज कुछ खेले,
प्रेम की ही होली रे,
रंग प्रेम ही भर भर,
रंगे हर हमजोली रे,
लाल,गुलाबी,हरे और नीले,
कोई रंग न बच पाये,
प्रेम के रंग में भीगा,
हर अपना ही हो जाये,
रंग लगाना कुछ है ऐसा,
मिट जाए फिर नफरत भी,
गुझियों, पापड़ संग पी ले,
आज प्रेम का अमृत भी,
तन भी रंगे, मन भी रंगे,
प्यारे प्यारे रंगों से,
प्रेम से हर मनवा रंगे,
जागे फिर भी सद्भाव भी,
आओ चले फिर जम कर खेले,
प्रेम की ये होली रे,
मिला दे जो रूठे दिलों को
ऐसी प्यारी होली रे।