अनमोल प्यार
अनमोल प्यार
धुंधली सी यादों में
ये याद कुछ पुरानी है,
उसका बस एक किस्सा था
मेरी पूरी कहानी है।
ये बात दरअसल तब की है
जब खुशियों के मोती खोज लिए,
कंधो पर थीं किताबें
चलता, दिल पर मैं एक बोझ लिए।
देखकर उसके चेहरे को
जाने क्या पाता था मैं,
वो आ जाए स्कूल
कुछ पहले पहुंच जाता था मैं।
चाहे कितनी आवाजें हो
वही सुनाई देती थी,
इतिहास, गणित या विज्ञान
सिर्फ वही दिखाई देती थी।
कच्चे दिल पर इतना बोझ
बोझ उठाकर कैसे सहता!
सोचूं जो इज़हार करूं
लेकिन मिलकर क्या मैं कहता?
दिल के सारे शब्दों की
लगने लगी कतार,
क्या भ्रमित था ये एक शायर
या अनमोल था मेरा प्यार?
फिर देखकर एक दिन, मुस्काई
जाने दिन ये कैसा था,
सिर्फ मैं ही इश्क़ में डूबा था
या उसको भी अंदेशा था?
आज जाकर कह दूंगा मैं
कर दूंगा करार,
कितना तूने तड़पाया
कितना करता मैं प्यार।
सिर्फ सुनता रहा आवाजें
समझ आयी, तेरी बात नहीं
गाल पर तूने मारा था
और कुछ मुझको याद नहीं।
दोबारा, फिर कहा नहीं
पर चाहा तुझे हमेशा,
समझाने पे समझे ना
न जाने दिल ये कैसा!
अब भूल गई है शायद तू
बातें जो पुरानी हैं,
हां! तेरा बस एक किस्सा था
पर मेरी पूरी कहानी है।
तुझको ही बस लिखता हूं
कहता जब कोई प्यार,
क्या भ्रमित अब भी ये शायर?
या अनमोल है मेरा प्यार।