अनकही बात
अनकही बात
कुछ उलझनें हैं सुलझी कुछ रह गयीं अधूरी
बात आते-आते ज़ुबां पर भी हो न पायी पूरी,
बिन कहे वो न समझ पाये लफ़्ज़ों की भाषा
दबकर रह गई मन में ही प्यार की अभिलाषा।
कुछ उलझनें हैं सुलझी कुछ रह गयीं अधूरी
बात आते-आते ज़ुबां पर भी हो न पायी पूरी,
बिन कहे वो न समझ पाये लफ़्ज़ों की भाषा
दबकर रह गई मन में ही प्यार की अभिलाषा।