अंजाना
अंजाना
अनजानी राहों में बेगानी दुनिया में
अंजाना है कोई एक अपना है कोई
उल्फत की राहों में चाहत की आरजू में
मन में है कोई सपनों में है कोई
एक अनजानें मोड़ पे यूं ही मुलाकात हुई
बस अपना सा लगा कोई
सच सपना सा लगा कोई
बिन फेरे हम तेरे हो गये
चाहत की गलियों में खो गये
बरसों बीत गए इंतजार में
चाहत के इकरार में
मुझमें समा गया कोई
आंखों में बस गया कोई
काश ! सच हो जाए सपने सारे
टूट जाएं बंधन सारे।