तीसरे दिन की डायरी अंजाना भय
तीसरे दिन की डायरी अंजाना भय
फिर तो घर से निकलना बिल्कुल बंद हो गया,
देखते ही देखते चारों तरफ पहरा हो गया।
हर दिन बाहर जाने में भी डर लगा रहता था,
ऐसे सब हमारे सहायक को दिल से सलाम।
चाहे वह डॉक्टर हो या हमारे घर में काम करने वाले हो,
या चौकीदार या सिपाही हो।
ऐसे वक्त में सब ने एक दूसरे का साथ निभाया,
भूखे को खाना खिलाया।
भगवान जी से प्रार्थना करते रहे हम,
धीरे-धीरे ग्राफ संकटों का कभी नीचे आया कभी ऊपर गया।
यह सिलसिला तो ऐसे ही चलता चला जा रहा है,
थमने का नाम नहीं ले रहा है।
हर संकट की बेला पर प्रभु ने जन्म लिया है धरती पर,
अब वह ही अवतार लेंगे और वही बेड़ा पार करेंगे।