अंजान शहर
अंजान शहर
लॉक डॉउन खत्म होते ही
मैं चली आऊंँगी तुम्हारे पास,
फिर तुम्हारा हाथ थामे
ले जाऊंँगी तुम्हें
तुम्हारे शहर से बहुत दूर
किसी अंजान शहर में
ऐसा शहर जहांँ की बोली और
रहन- सहन सभी बिल्कुल जुदा हो
तुम्हारी उन सभी आदतों से
जिनके तुम आदी हो,
दुनिया के उस अंजान शहर में
सिर्फ तुम होगे और मैं
सभी से बेखबर
किसी पहाड़ी वाले
घर के एक कमरे में
बाहों में बाहें डाले
दुनिया के सबसे सुंदर
शहर में कुछ दिन साथ
बिताने का
इक प्यारा सा सपना बुन
रहे होंगे।