"अनेकता मे एकता"
"अनेकता मे एकता"
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अनेकता में एकता
हिन्द की विशेषता
हर धर्म के रहते हैं
बड़े प्रेम से कहते हैं
भारत हमारी मां है
यह सांसो में महकता
बोली,भाषा सबमें
हिन्द है,चहकता
पर आज साखी
नफरतों के शूलों में
सत्य है,तड़पता
झूठ है,महकता
चंद गद्दारों के कारण
भाई-भाई से झगड़ता
लाख करे,कोशिशें
सबके ही दिलों में
हिंदुस्तान है,धड़कता
तिरंगा है,हमारी एकता
हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख
ईसाई,सब है,भाई
सबसे मिलकर ही
हिंद घर है,चहकता
न लड़ो आपस मे
मिलकर रहो,घर मे
एक लकड़ी तोड़
हर कोई सकता है
लकड़ी इकट्ठा हो,
कौन तोड़ सकता है?
एकजुट रहने से,ही,
देश मजबूत है,बनता
वो राष्ट्र उन्नति है,करता
इक जल जहां है,बहता।