Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Mayank Kumar 'Singh'

Tragedy

3  

Mayank Kumar 'Singh'

Tragedy

अंधेरा सब जगह पसरा हैं

अंधेरा सब जगह पसरा हैं

1 min
462


एक अंधेरा यहां भी पसरा हैं

एक अंधेरा वहां भी पसरा हैं

इन अंधेरों से ही तुमको

इस बार पार निकलना हैं,

एक अंधेरा वहां भी पसरा हैं !


किसको बोलोगे पथ दिखलाने को,

जो खुद से हारे बैठे हैं !

किसको बोलोगे सूरज बनने को,

जो खुद से प्रकाश खोए हैं !

एक अंधेरा वहां भी पसरा हैं !


कितना भी तुम चीखों- चिल्लाओ

अपनों को तुम पास बुलाओ

कौन आएगा ? किसको फिक्र है तेरी ?

जहां पुकारोगे वहां ही देखोगे,

घनघोर अंधेरा पसरा है !


जीवन जीने की कला सिखाने वाले ही,

जहां-तहां चमगादड़-सा,

अंधेरी गुफा में बैठे हैं !

एक अंधेरा वहां भी पसरा हैं !


शासक-प्रशासक तुम्हें बचाएंगे !

या फिर संसद के सांसद सब ?

इस आशा में बैठे हो कि न्याय मिलेगा ?

अंधेरा पसरा जीवन में सूरज खिलेगा ?


अच्छा है फिर यही सोच कर बैठ जाओ !

तुम लोगों सा और भी ऐसे ही सोचते थे,

आंखों में उम्मीदें संग,

उस अंधेरे में ही सब खो गए !

जहां बैठकर तुम सब,

ये सोच रहे हो !

एक अंधेरा वहां भी पसरा हैं !


मत सोचो कि कोई आएगा

तुम्हें अंधेरे से निकालेगा

अच्छा होगा कि हाथ-पैर मारो तुम


कहीं कुछ उम्मीद मिल जाए

कहीं कोई मशाल जल जाए

उम्मीदें क्यों बांधे बैठे उनसे तुम ?

एक अंधेरा वहां भी पसरा हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy