अनाम
अनाम
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अनाम नहीं
पहचान माँ -पापा
संतान हम।
घर आँगन
रोशन करें हम
किलकारियाँ।
फर्ज हमारा
पहचान बनेंगे
सत्कर्मी हम।
एक ही धर्म
देशहित करम
निस्वार्थ सेवा।
नाम अनाम
ऊपर उठ जाएँ
है पहचान ।
यादों में बसें
मरणोपरान्त भी
यही संकल्प।
नाम से नहीं
कर्म से पहचान
चाहे अनाम।