अमृत अमिट छाप मतवाले
अमृत अमिट छाप मतवाले
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ज़िंदगी भूल गए।
आँखें बंद कर के हम सोना भूल गए।
करवटें बदल कर हम रोना भूल गए।
क्या चाँद क्या सूरज और क्या सितारे
हम तो अपने ख़ुदा को भी भूल गए।
ख्वाब देखते देखते बहुत आगे चले
गए और पीछे देखना हम भूल गए।
ख़ुद को इतना भुला दिया हम ने की
आईने के सामने भी खुद को भूल गए।
आजाद भारत में जीते है, कुर्बानी भूल गए
हम ज़िंदगी के लिए ज़िंदगी भूल गए।
भूल कर भी कभी न भूल
अमर जवानों की अमिट कहानी।
आजादी के मतवालों की यादें
हम कभी न भूलेंगे ।