अमिरियत
अमिरियत
तेरा महल हो सोने का
तेरा महल हो हिरे ज्वारातों का
जो मेरे कुटिया मे नींद आती है
वोह तेरी महलों मे कहा
तेरा भोजन स्वादिस्ट हो
तेरे पास अनेक वैजन हो
मेरे पास सुखी रोटी हो
जो भूख लगने पर सुखी रोटी क्या स्वाद है
वोह तेरे खाने मे कहा
तेरे पास अताह पैसा हो
जो तूने टेड़े रास्तों से कमाया हो
जो मेरे ईमानदारी से कमाए पैसो मे बात हो
वोह तेरे पैसो मे कहा
मुझे ना चोरी की चिंता ना
ना खोने का गम
थोड़े मे से कुछ कम भी हो तोह
क्या उलझन
रब के आगे मैंने किसी को कभी रखा नहीं
उसके दामन को कभी हमने छोड़ा नहीं
कम मे जीना क्या जीना
तू क्या जाने
हम को उसकी हर छोटी मेहेरबानी पड़
शुक्रिया का एहसास है
नींद जबरदस्त आती है
तूने डॉक्टर मे पैसे देकर दवाई मे नींद पाई है
हमें कभी रब के रास्ते से जुदा ना कर
हम ऐसे ही ठीक है
उसकी पन्नाह में।