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Saksham Sarode

Drama

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Saksham Sarode

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अल्पविराम

अल्पविराम

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मुझे नफ़रत है इस सूर्योदय से !

मेरी जिंदगी के वो तमाम मुक्कमल पल

अपार समाधान या अथाह पीड़ा के पल

अनन्य अनुभूति या असीम कुठां के पल।


शानदार जीत या शर्मनाक हार के पल, 

वे पल जिनके के बाद,

कुछ भी ना होना समुचित था 

वे पल जिनमें वक्त के दरिया को

सिमट जाना चाहिए था। 


उस हर पल के बाद,

हर अगली सुबह….

ये अनभिज्ञ सुर्य उग आता है

जैसे जो कल हुआ था वो हुआ ही नहीं था

जैसे जो हुआ था उसका महत्व ही नहीं था।


मेरे अस्तित्व को ठुकराता हूआ

मेरे अहंकार को लताड़ता हूआ…

ये मगरूर सुर्य, सर उठाकर, उग आता है

अगर कुछ होता है तो

उसके बाद सूर्योदय होता है,


अगर कुछ नहीं होता तो उसके बाद सूर्योदय होता है

जो हो चुका है उससे पूरी तरह अलिप्त ये सूर्योदय,

बस आदतन होते रहता है

रात को दिन से,

रूखी यांत्रिकता से बस जोड़ते रहता है ..

किसी उदासीन अल्पविराम की तरह !


इस तुच्छ सूर्योदय से अल्पविराम ने

मेरी जीवनी को एक विलक्षण

पुर्णविराम से वंचित रखा हुआ है

मुझे नफ़रत है इस सूर्योदय से !


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