अलग कहानी
अलग कहानी
खुद में एक नई कहानी है,
हर नारी की जुबानी है,
कुछ सुलझी अनसुलझी कहानी है,
प्रेम,त्याग ,करुणा की ये वाणी है,
खुद गल जो सृजन करे,
वह ही नारी की कहानी है,
दे खुशिया जो दर्द छिपाए,
ऐसी ही हर एक कहानी है,
कभी प्रेम तो कभी त्याग,
कभी नैनो छिपाती पानी है,
छिपी हुई जो उसके लबो पर,
बस यह ही वो कहानी है,
कभी न खुद को जो जी पायी,
वही अधूरी कहानी है,
कभी त्याग,कभी मर्यादा पर,
लिखी उसकी कहानी है,
समंदर से अश्रु जो छिपाए,
ऐसी ही कुछ कहानी है,
शब्द कोश जहाँ कम हो जाये,
ऐसी ही कुछ कहानी है,
हर नारी की हर नारी से
कुछ अलग सी ही कहानी है।।