अल्फ़ाज़
अल्फ़ाज़




अपनी कलम से लिखें हैं मैंने हालात सारे
इस कलम की स्याही में भरे जज्बात सारे
जो ढूंढते हो तुम दर-ब-दर इस ज़माने में
मेरे अल्फाज़ों में आ बसे वो कायनात सारे
हर सू दौड़ते हैं जो मेरे ज़हन में रात दिन
लिखें हैं आज मैंने वो उलझे सवालात सारे
इस कदर गहरा अंधेरा है जिंदगी में अब
जैसे ले गया कोई मेरे हिस्से के आफ़ताब सारे
झलक ही जाता है जाने अनजाने दर्द सारा
जाने छिप गए कहाँ लबों के फरहात सारे
इक दौर था मिल जाते थे हर तरफ जो
बदल गए हैं, इस जहाँ के हज़रात सारे