अक्सर मैंने देखा हैं
अक्सर मैंने देखा हैं




अक्सर मैंने देखा हैं
दिल को जलते हुए
हर रात मोम कि तरह
पिघलते हुए
अक्सर मैंने देखा हैं
हर शाम लोगों को इश्क़
करते हुए
और सुबह बेवफाई की
दाग धोते हुए
अक्सर मैंने देखा है
किसी को अपना
होते हुए
और किसी के लिये
अपनों को बिछड़ते,
खोते हुए
अक्सर मैंने देखा है
शाम होते हुए
और एक नई सुबह
होते हुए...