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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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अखंड भारत

अखंड भारत

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एकता में अनेकता हमारे देश की है पहचान,

विभिन्न भाषा ,विभिन्न बोली ,विभिन्नता जान,

अनेक धर्म ,संप्रदाय को मानते हैं सभी,

पर एक राष्ट्र,एक ध्वज ,एक हमारा संविधान।


योग आध्यात्म का यह केंद्र सदा से ही रहा,

ज्योतिष विद्या का भी सबको यहाँ रहे ज्ञान,

संत महात्माओं की है पुण्य भूमि कहलाये,

यज्ञ हवन और ज्ञान विज्ञान का केंद्र जान।


वेद पुराण की है यह धरा गीता से ले ज्ञान,

गंगा ,यमुना जैसी नदियाँ हिमालय है शान,

सनातन धर्म का है आदर उससे ही पहचान,

जैन बौद्ध जैसे अनेक धर्मो को भी सम्मान।


अतिथि सत्कार की परंपरा वह है देव समान,

विश्व गुरू कहलाये एकता अखंडता मान,

सोने की चिड़िया रूप रहे भारतवर्ष का,

नालंदा तक्षशिला शिक्षा के प्रसिद्ध संस्थान।


शून्य दशमलव को खोज सबसे परिचित करवाया,

आर्यभट्ट और चाणक्य जैसे गुरु से है मिलवाया,

अहिंसा का संदेश देकर सबको है बतलाया,

प्रेम और भाईचारे का मोल नही कोई लगा पाया।


आओ प्रण लें उस अखंड भारत को लायेंगे,

सभ्यता संस्कृति की रक्षा कर सम्मान दिलाएंगे,

विश्वपटल पर भारत की हो एक विशेष पहचान,

सदा ही देशहित ये संकल्प हम दोहरायेंगे।


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